विधानसभा में गूंजा रणथंभौर टाइगर मिसिंग का मुद्दा, वन विभाग बनाए कार्य योजना
जयपुर। रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान में बाघों की मौत को लेकर मंगलवार को विधानसभा में चित्तौडगढ़ विधायक चंद्रभान सिंह आक्या ने मामला उठाया। उन्होंने बजट सत्र के दौरान कहा कि देश के राष्ट्रीय पशु कहे जाने वाले बाघ के प्रति सरकार की संवेदनशीलता के कारण 1 वर्ष में लगभग 26 बाघों के गायब होने का मामला ठंडे बस्ते में पड़ा है। गायब चल रहे बाघों को लेकर अब तक कोई पड़ताल नहीं हुई और अफसरों की जिम्मेदारी भी तय नहीं हुई।
बंदूकधारी शिकारी घुलेआम घूम रहे : आक्या
आक्या ने कहा कि रणथंभौर में खुलेआम बंदूकधारी शिकारी सामने आ चुके हैं, जो भावों की सुरक्षा को लेकर बड़े सवाल खड़े करते हैं। दूसरी तरफ वन विभाग केवल पर्यटन की दृष्टि से जुड़े हुए हित ही शादी गए तथा पर्यटन को व्यवस्थित करने के लिए ही अफसरों की पोस्टिंग व कार्यकाल तय किए जाते हैं। रणथंभौर से निकली मिसिंग टाइगर रिपोर्ट के बाद भी वन विभाग चुप्पी साधे हुए है। चीतल के शिकार के मामले में भी विभाग हरकत में आया जब मुख्यमंत्री के पास मामला पहुंचा। इसके बावजूद बाघों के गुम होने पर अभी चुप्पी साधे हुए है।
उन्होंने कहा कि सरिस्का में प्राकृतिक रूप से बाघ की मौत होती है तब बवाल खड़ा हो जाता है, जबकि रणथंभौर राष्ट्रीय वन अभयारण्य में आए दिन बाघों के बाहर निकलने की घटनाएं हो रही हैं। इसके बावजूद न तो सरिस्का बाघ भेजे जा रहे हैं और नहीं जंगल का दायरा बढ़ाया जा रहा है। इसके चलते बाघ हताहत हो रहे हैं और फिर लोगों के लिए खतरा बन रहे हैं। राज्य सरकार राष्ट्रीय पशु बाघ के साथ अन्य जीवों की सुरक्षा और संरक्षण पर को ध्यान में रखते हुए विशेष कार्य योजना तैयार कर इस विषय पर वन विभाग को उचित दिशा निर्देश प्रदान करे।